रुद्रपुर : दिल्ली दरबार ने पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल की वापसी से इनकार कर दिया है। सूत्रों की मानें तो वो पुरानी ऑडियो रिकॉर्डिंग आड़े आ गईं, जिसमें भाजपा की बंगाल से सांसद लॉकेट चटर्जी के साथ ही हिंदुओ के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया गया था। खबर है कि खुद लॉकेट चटर्जी इन ऑडियो को लेकर बड़े नेताओं से मिलीं। ऐसे में भाजपा से दो बार के विधायक रहे राजकुमार ठुकराल की पार्टी में वापसी के रास्ते लगभग बंद हो गए हैं। शिकायत के बाद एक अग्रिम पंक्ति के नेता ने ठुकराल की वापसी के प्रयास को गंभीरता से लिया है, यही कारण है कि देहरादून पहुंचे ठुकराल को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मिलने का समय नहीं दिया।
तराई की राजनीति में राजकुमार ठुकराल रचा बसा नाम है। भाजपा के टिकट पर ठुकराल दो बार लगातार विधायक रहे और लंबे अंतराल से जीत हासिल की। गुजरे विधानसभा चुनाव में उनकी कुछ ऑडियो पार्टी हाईकमान तक पहुंचने के बाद उनका टिकट काट दिया गया था। इन ऑडियो में भाजपा सांसद और बंगाल की बड़ी नेता लॉकेट चटर्जी को लेकर भी अपशब्दों का प्रयोग किया गया था। लॉकेट की नाराजगी के बाद पार्टी हाई कमान ने यह निर्णय लिया था। इसके बाद ठुकराल निर्दलीय चुनाव लड़े और 27,000 मत प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रहे। इसके बाद से भाजपा विधायक बने शिव अरोरा से उनकी तल्खी सार्वजनिक रही, ऐसे में बातें हाईकमान तक पहुंचती रहीं। हालांकि भाजपा के कुछ स्थानीय नेता ठुकराल की वापसी के प्रयास में लगे रहे। उनकी कोशिश थी कि ठुकराल का जनाधार है, ऐसे में पार्टी में उनकी वापसी होनी चाहिए। इस बीच कई डेट भी आईं जिसमें दावा किया गया कि ठुकराल इस दिन पार्टी में वापसी कर सकते हैं लेकिन हुआ कुछ नहीं। कल 20 फरवरी को जन्मदिन पर उनकी वापसी के दावे भी फेल हो गए।
सूत्रों की मानें तो ठुकराल की वापसी से दिल्ली दरबार ने इंकार कर दिया है। खुद विधायक शिव अरोरा ठुकराल की वापसी के लिए सारे दरवाजे बंद करने के प्रयास में पहले ही लगे थे। ऐसे में खबर है कि लॉकेट चटर्जी भाजपा शीर्ष नेतृत्व से मिलीं और वह पुरानी ऑडियो उनके सामने रख दीं। ऑडियो एक बार पुनः सुनने के बाद ठुकराल की वापसी से इनकार कर दिया गया। ऐसे में ठुकराल की वापसी को प्रयास कर रहे उन स्थानीय नेताओं को भी झटका लगा जिन्होंने जन्मदिन पर ठुकराल को वापसी का तोहफा देने का भरोसा दिलाया था।
खबर यहां तक है कि ठुकराल ने दो बार मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश की लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गया। नतीजतन उन्हें देहरादून से बैरंग वापस लौटना पड़ा। अब देखना यह होगा कि ठुकराल कांग्रेस का हाथ थामते हैं या फिर भाजपा में अपनी वापसी के प्रयासों को जारी रखते हैं।